Daytime Moon Meaning: रात में चांद नजर आना तो आम बात है, लेकिन दिन में चांद देखकर लोग यही सोचते हैं कि ऐसा कैसे होता है. यह साइंस की एक अद्भुत घटना है जिसमें हम चांद को दिन के उजाले में देख पाते हैं. अगर आपको भी नहीं पता कि चांद दिन में क्यों दिखता है, तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है.
Why Moon Appears in Daytime: रात के आसमान में चांद की मौजूदगी तो हजारों सालों से हम लोग देख रहे हैं. लेकिन कभी-कभी जब चांद उजाले में निकलता है तो थोड़ी हैरानी जरूर होती है. यह तो जगजाहिर है कि रात की बात होगी तो चांद का जिक्र होगा और चांद की बात होगी तो रात का जिक्र होगा. मगर दिन में निकलने वाला चांद एक बार को हमें चौंका देता है. ऐसे में लोग यही सोचते हैं कि रात तो ठीक है, लेकिन चांज दिन के उजाले में क्यों नजर आता है. अगर आपको इस सवाल का जवाब चाहिए तो इस आर्टिकल को पढ़ें.
हम जो कभी-कभी दिन में चांद को देखते हैं वो उसी वजह से देखते हैं जिस वजह से ये रात को नजर आता है. यह सूरज से रिफ्लेकट होकर आती लाइट की वजह से होता है. इसके अलावा पृथ्वी के नजदीक होने की वजह से यह दिन या रात के आसमान से ज्यादा चमकीला होता है. सूरज के बाद चांद स्पेस की सबसे चमकीली आसमानी चीज है जिसे हम देख सकते हैं.
दिन में चांद दिखने में वायुमंडल का रोल
चांद दिन के समय हमेशा दिखाई नहीं देता है. यह पृथ्वी के वायुमंडल और हमारी नेचुरल सैटेलाइट यानी चांद की ऑर्बिटल साइकिल की वजह से दिखता है. अगर हमारे ग्रह पर वायुमंडल नहीं होता, तो चांद पृथ्वी से हर समय दिखाई देता. इस बीच चांद के फेज का मतलब है कि जब यह पृथ्वी और सूरज के बीच घूमता है, जैसे कि अमावस्या के दौरान चांद की छिपी साइड हमसे दूर होती है, जबकि चांद की जिस साइड पर अंधेरा रहता है उसका रुख पृथ्वी की तरफ होता है. इसलिए यह पृथ्वी पर आसमान की ओर टकटकी लगाए लोगों के लिए गायब हो जाता है.
दिन में चांद का नजर आना
हमारे वायुमंडल में गैस के कण, खास तौर पर नाइट्रोजन और ऑक्सीजन, कम वेवलेंथ वाली रौशनी को बिखेरते हैं, जैसे कि नीली और बैंगनी रौशनी. यह बिखराव जिसमें रौशनी को अब्सॉर्ब करना और उसे अलग दिशा में ले जाना शामिल है, इससे पृथ्वी का आसमान नीला हो जाता है.
पेंसिल्वेनिया की विलानोवा यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर एडवर्ड गुइनन ने लाइव साइंस को बताया कि दिन के समय दिखाई देने के लिए चांद को सूरज से बिखरी हुई रौशनी को पार करना पड़ता है. अमावस्या के आसपास दो या तीन दिनों के लिए यह पृथ्वी पर लोगों के लिए अदृश्य होता है, क्योंकि आसमान में इसकी जो स्थिति होती है, उसमें सूरज का बिखरा हुआ उजाला चांद को मात देता है.
लेकिन, जैसा कि आमतौर पर होता है, पृथ्वी से चांद की नजदीकी (औसतन 2,38,900 मील या 3,84,400 किलोमीटर) का मतलब है कि यह जो उजाला रिफ्लेक्ट करता है, वो हमें उन चीजों की तुलना में ज्यादा चमकीला दिखाई देता है जो दूर बैठकर उजाला छोड़ते हैं या उजाला लेते हैं, जैसे कि तारे या अन्य ग्रह.
चांद से कम चमकीले होते हैं तारें
गुइनन के अनुसार, पृथ्वी से दिखाई देने वाले तारे सूरज से आने वाले उजाले की तुलना में दस लाख अरब गुना कम चमकीले होते हैं, और चांद की तुलना में लाखों गुना फीके होते हैं. सूरज से बिखरी हुई रौशनी हमारे आसमान में इतनी चमकीली होती है कि यह अक्सर दिन के समय तारों की रौशनी को दबा देती है. लेकिन हमेशा चांद की रिफ्लेकट होती रौशनी नहीं दबती है.
एस्ट्रोनॉमर्स आकाश में मौजूद चीजों, जैसे गैलेक्सी और नेबुला की साफ चमक को मापने के लिए सतही चमक का इस्तेमाल करते हैं, जो पृथ्वी से देखे गए रात के आसमान के एक एरिया में उनके फेंकने वाले उजाले की मात्रा को मापते हैं.
चूंकि चांद, पृथ्वी के सितारों की तुलना में ज्यादा पास है, इसलिए इसकी सतही चमक आसमान की सतही चमक से ज्यादा है. इसका मतलब है कि हम इसे दिन के उजाले में आसानी से चमकते हुए देख सकते हैं.
हालांकि, दिन के समय चांद की विजिबिलिटी पर दूसरी चीजों के कारण भी असर पड़ता है. जैसे- मौसम, चांद का मौजूदा फेज और दिन में आसमान कितना साफ है.
महीने में दिन में कितनी बार दिखता है चांद?
पूरे साल में महीने में औसतन 25 दिन चांद दिन के उजाले में दिखाई देता है. बाकी पांच दिन अमावस्या और पूर्णिमा के आसपास के होते हैं. अमावस्या के पास, यह सूरज के बहुत करीब होता है, इसलिए इसे देखा नहीं जा सकता. जब यह पूर्णिमा के करीब होता है, तो यह केवल रात में दिखाई देता है, क्योंकि चांद सूरज ढलने के समय उगता है और सूरज उगने के समय ढलता है.
एकमात्र दिन जब यह कुछ समय के लिए सूरज के साथ आकाश में नहीं होता है, वह पूर्णिमा है. उस दिन सूरज ढलता है और फिर चांद उगता है. इसलिए यह एकमात्र दिन है जब यह एक ही समय पर वहां नहीं होता है.
सर्दियों में कम नजर आता है चांद
चांद दिन में 12 घंटे हॉरिजन से ऊपर रहता है, लेकिन इसका दिखना हमेशा दिन के उजाले के घंटों के साथ मेल नहीं खा सकता है. सर्दियों में जब दिन छोटे होते हैं, तो दिन के दौरान चांद को दिखाई देने के लिए कम समय होता है.
गुइनन के अनुसार, दिन के उजाले में चांद को देखने का सबसे अच्छा समय पहली तिमाही (अमावस्या के एक हफ्ता बाद) और तीसरी तिमाही (पूर्णिमा के एक हफ्ता बाद) के दौरान होता है. पहली तिमाही में दोपहर के दौरान चांद को पूर्वी आकाश में उगते हुए देखा जा सकता है.
तीसरी तिमाही में यह सुबह में दिखाई देगा, पश्चिमी आसमान में ढल जाएगा. गुइनन ने कहा कि ये फेज सबसे लंबा समय है जब चांद आसमान में सूरज के साथ दिखाई देता है, औसतन दिन में पांच से छह घंटे.
Earthshine: पृथ्वी की चमक
एक और घटना जो चांद के दिखाई देने के समय को प्रभावित करती है वह है पृथ्वी की चमक. दिन के समय क्रिसेंट से लेकर क्वार्टर फेज तक के दौरान आकाश में ऊंचे दिखाई देते हैं, लेकिन दिन के समय फुल मून फेज की झलक केवल सूरज के ढलने से ठीक पहले ही देखी जा सकती है.
क्रिसेंट फेज यानी अर्धचांदाकार चरण के दौरान जब यह सूरज के कोण में करीब होता है, तो आप वास्तव में चांद के अंधेरे हिस्से को देखते हैं. चांद का अंधेरा हिस्सा पृथ्वी से रिफ्लेक्ट रौशनी लेता है. इस घटना को देखने का सबसे अच्छा समय क्रिसेंट फेज होता है, जो अमावस्या के तीन या चार दिन बाद आता है.