याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता ने हाई कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह गिरफ्तार नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने के लिए एक तंत्र विकसित करे, जब तक कि उन्हें अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता.
दिल्ली हाई कोर्ट ने गिरफ्तार नेताओं को वर्चुअल प्रचार करने की अनुमति देने वाली जनहित याचिका खारिज की. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली हाई कोर्ट ने किसी मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद राजनीतिक नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यदि ऐसा होता है, तो दाऊद इब्राहिम और अन्य कुख्यात अपराधी भी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ेंगे और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार करेंगे. बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में दोषी करार दिए गए सजायाफ्ता कैदी भी अपने उद्देश्यों के लिए राजनीतिक पार्टी बना लेंगे.’
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका में की गई मांगों को कानून के मौलिक सिद्धांतों के विपरीत बताया. पीठ में जस्टिस मनमोहन के साथ शामिल न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा, ‘ऐसी याचिकाओं के पीछे के विचार से हम अवगत हैं और इसके बारे में अच्छी तरह से जानते हैं.’ बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल के दिनों में इस तरह की कई याचिकाओं को रद्द किया है और तुच्छ दलीलें प्रस्तुत करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना भी लगाया है. यह याचिका अमरजीत गुप्ता नाम के एक विधि छात्र ने दायर की थी. पीठ ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना तो नहीं लगाया, लेकिन उसके वकील से उसे शक्तियों के पृथक्करण के बारे में बताने के लिए कहा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप चाहते हैं कि गिरफ्तार किए गए सभी नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार की अनुमति दी जाए. हम राजनीतिक पचड़े में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन हर कोई चाहता है कि अदालत राजनीतिक क्षेत्र में हस्तक्षेप करे. पिछले कुछ सप्ताह में हमारे सामने ऐसी कई याचिकाएं आई हैं, जिनमें या तो किसी व्यक्ति को जेल में डालने या उसे रिहा करने की मांग की गई. आपको और इस तरह की याचिकाएं दायर करने वाले अन्य लोगों को लगता है कि हम कानून से बंधे नहीं हैं. आप लोग हमें कानून के विपरीत काम करने के लिए कह रहे हैं. हमें नया कानून बनाने के लिए कह रहे हैं.’
याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता ने हाई कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह गिरफ्तार नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने के लिए एक तंत्र विकसित करे, जब तक कि उन्हें अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद अलग-अलग नेताओं की गिरफ्तारी से वह व्यथित है. उसने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ इस कार्रवाई ने दिल्ली के लोगों को चुनाव अभियान के दर्शक/श्रोता के रूप में आम आदमी पार्टी (AAP) से जानकारी प्राप्त करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया