क्या है स्वास्तिक का इतिहास, जानिए किन-किन देशों से है नाता.

क्या है स्वास्तिक का इतिहास, जानिए किन-किन देशों से है नाता.

प्राचीन यूरोप स्वास्तिक को उतना ही प्यार मिलता है जितना हमारे भारत में. यूक्रेन के नेशनल म्यूजियम में कई कीमती चीजों में एक चिड़िया भी है. ये चिड़िया साल 1908 में रूस की सीमा के पास खुदाई में मिली थी. इस चचड़िया पर स्वास्तिक का चिह्न है. वहीं यूक्रेन की राजधानी कीव में इस तरह के कई प्रतीक मिलना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है.

स्वस्तिक जिसका हिंदी में मतलब होता है सौभाग्य, सौभाग्य यानी स्वस्तिक एक ऐसा चिह्न है जिसे खुशहाली और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस चिह्न को भगवान श्रीगणेश, सूर्य और ब्रह्मांड का भी प्रतीक माना गया है. लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस चिह्न को भारत के अलावा कई दूसरे देशों में भी खास जगह दी गई है. यहां तक की हिटलर ने भी इस चिह्न को अपनाया था. आईये जानते हैं इसके बारे में.

हजारों सालों से इस चिह्न का इस्तेमाल हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग करते आ रहे हैं. हालांकि अगल-अलग देशों में इसका नाम भी अलग है और पहचान भी. चीन में वान, जापान में मंजी, ब्रिटेन में फिलफिट, ग्रीस में टेट्रागैमेडिअन और जर्मनी में हेकेनक्रुएज़. पहले विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने इसे प्रतीक बनाया जो 1939 तक उनके लड़ाकू जहाजों पर भी दिखता रहा. बाद में नाजियों के इसे पार्टी प्रतीक बनाए जाने के बाद से स्वास्तिक के लिए लोगों की आस्था कुछ कम हुई.

दस्तावेज बताते हैं कि जर्मनों के स्वास्तिक को अपनाए जाने की घटना महज एक इत्तेफाक है. 19वीं सदी में एक जर्मन शोधकर्ता प्राचीन भारतीय शास्त्रों का अध्ययन कर रहा था, इसी दौरान उसे संस्कृत और जर्मन भाषा में कई समानताएं दिखीं. शोधकर्ताओं का एक दल इस नतीजे पर पहुंचा कि दोनों देश जरूर एक इतिहास रखते हैं और एक पिता की संतानें हैं. आर्यन संतानें. आर्यों से अपने संबंध को पक्का करने के लिए नाजी पार्टी ने स्वास्तिक का आइडिया ले लिया और तभी से उनके लाल झंडे पर ये चिह्न आ गया.

हिंदु सभ्यता और हिटलर

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जर्मनों के आक्रमण के दौरान बच गए एक व्यक्ति ने कहा- हमें हमेशा याद रहेगा कि स्वास्तिक ने हमारी जिंदगी पर क्या कहर ढाया- ये शैतानी ताकत का चिह्न है. यहां तक साल 2007 में जर्मनी ने पूरे यूरोप में इस प्रतीक पर बैन लगवाने की कोशिश की, जो कि नाकामयाब रही.

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