इंद्रेश मलिक ने ‘हीरामंडी’ से पहले भंसाली की फिल्म ‘गंगुबाई कठियावाड़ी’ में काम किया था. उन्होंने डायरेक्टर संग काम करने को लेकर कहा, ‘मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. मैं जब तक जिंदा हूं सीखता रहूंगा.’
इंद्रेश मलिक, संजय लीला भंसाली
डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की सीरीज ‘हीरामंडी‘ में एक्टर इंद्रेश मलिक को अपने काम के लिए खूब सराहना मिल रही है. इंद्रेश ने सीरीज में उस्ताद जी नाम के शख्स का किरदार निभाया है, जो मल्लिकाजान की तवायफों के साथ रहता है और बायसेक्शुअल है. ऐसे में अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में एक्टर ने डायरेक्टर भंसाली संग काम करने को लेकर बात की है.
इंद्रेश मलिक को ने ‘हीरामंडी’ से पहले भंसाली की फिल्म ‘गंगुबाई कठियावाड़ी’ में काम किया था. उन्होंने डायरेक्टर संग काम करने को लेकर कहा, ‘मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. मैं जब तक जिंदा हूं सीखता रहूंगा.’
कैसे निभाया बायसेक्शुअल किरदार?
यूट्यूब चैनल बजूका संग बातचीत के दौरान इंद्रेश मलिक ने कहा, ‘श्रुति महाजन की तरफ से मुझे कॉल आया था. उन्होंने मुझे खुलकर बताया कि ये किरदार क्या है, कैसा है. आधा काम आपका वहीं हो जाता है. डायरेक्टर क्या चाहते हैं, प्रोडक्शन और डायरेक्टर ने कैसे किरदार को सोचा हुआ है, ये सब आपको समझना होता है. मैंने अपने किरदार को लेकर कुछ सलाह दी थी, जिन्हें मान लिया गया. इससे मैं खुश हूं. बहुत ज्यादा मारा-मारी नहीं करनी पड़ी. चीजें फ्लो में हुईं.’
भंसली से मिली गुरु दक्षिणा
इंटरव्यू में इंद्रेश मलिक ने भंसाली संग बिताए पलों को याद किया. उन्होंने कहा, ‘सर के साथ यादगार पल बहुत सारे हैं. एक मेरा इंट्रोडक्शन सीन था, जो मुझे नहीं पता था कि मेरा इंट्रोडक्शन सीन होने वाला है. वो आए कुछ समझाया, कुछ चीजें ठीक की. अनजाने में कुछ सोचते हुए आए और उन्होंने कहा कि आप इत्र लीजिए हाथ में, यहां लगाइए (गर्दन पर हाथ लगाते हुए). छोटी-सी बोतल वो मुझे मेरे हाथ में दे गए. वो कांसे की बोतल थी डिजाइन वाली, मैंने रख ही ली वापस नहीं की. ये सोचकर कि मुझे गिफ्ट मिला है संजय लीला भंसाली से.’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक सीन है सीरीज में जिसमें मुझे सोनाक्षी जी नथ पहनाती हैं. वो बहुत प्यार से ऐसा करती हैं. सर ने मुझे समझाया कि ये ऐसे हैं, इसका मतलब क्या है और मुझे क्या करना है. उस सीन में मुझे रोना था. वो सीन करके जब मैं एक्सिट करके निकला तो वो रोना रुका नहीं, वो 5 मिनट तक चलता रहा. तो सब मेरे पास आ गए कि कट बोला तो रोना नहीं रुक रहा. फिर सर मेरे पास आए और उन्होंने कहा क्या हो गया, चुप हो जाओ और फिर उन्होंने मुझे गले लगाया. उन्होंने मुझे पहली बार 500 रुपये दिए और कहा कि ये तुम्हारे लिए है. बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए. 500 रुपये का नोट एक गुरु द्वारा उसके शिष्य को दिया जाता है. ये उनके आशीर्वाद का रूप होता है. वो संजय सर देते हैं, जब उनको कोई पसंद आ जाए. मेरी खुशकिस्मती है कि मैं संजय सर के साथ काम कर पाया. उन्होंने मुझे इतना वजूद दिया, मेरे किरदारों को. मेरे अंदर विश्वास रखा और मुझे गाइड किया.’
भंसाली फिल्मों में महिलाओं का किरदार होते हैं दमदार
इंद्रेश से पूछा गया कि भंसाली फिल्मों में महिलाओं को ज्यादा प्रायोरिटी दी जाती है? इसपर उन्होंने कहा, ‘भंसाली फिल्मों में महिलाओं को प्रायोरिटी दी जाती है, लेकिन वो तो मेरे किरदार को भी मिली. सशक्त भूमिकाएं संजय लीला भंसाली सर लिखते भी हैं और कंसीव भी करते हैं. उनको पर्दे पर उतारा भी जाता है और लोग पसंद भी करते हैं. अगर सशक्त भूमिकाएं नहीं होंगी, तो वजन कम होगा ऐसा मुझे लगता है.
भंसाली ने मलिक को लगाया गले
‘हीरामंडी’ के प्रीमियर पर इंद्रेश मलिक को डायरेक्टर भंसाली ने गले लगाया और उनके माथे को चूमा था. इसपर बात करते हुए एक्टर ने कहा, ‘मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी. शायद उन्हें लगा होगा कि उन्हें ऐसा करना चाहिए. मैं बहुत खुश था कि मेरे साथ ये हुआ. मेरे आंसू छलक पड़े थे.’
कितना चैलेंजिंग था रोल?
अपने किरदार को निभाने में आए चैलेंज पर इंद्रेश मलिक ने कहा, ‘बहुत ज्यादा इंटीमेट सीन्स मुझे नहीं करने थे, थोड़े थे. एक एक्टर के तौर पर जब आप अलग-अलग लोगों को मिलते हैं, देखते हैं. आप ऑबसर्जव करते हैं. ऐसे कहीं न कहीं दिमाग में कुछ रहा होगा. 1940 का वक्त दिखाया गया था. मेरे पिता और मां दोनों के परिवार सरगोधा और रावलपिंडी से थे. बंटवारे से पहले जब भारत-पाकिस्तान नहीं बना था, तब वो वहां रहते थे. मैंने वहां की कहानियां सुनी हुई थीं. मेरे दादा से, दादी से, मेरे पेरेंट्स से. वो चीजें रही मेरे दिमाग में. पूरी टीम से भी बहुत मदद मिली. मैंने कुछ सलाह दी थी, मैंने कहा अगर मैं आलता लगाऊं. फिर दो-तीन दिन में सर ने कुछ ठीकठाक किया, टीम ने सलाह दी और फिर चीजें चलती-चली गईं. बहुत ज्यादा रिसर्च में मुझे नहीं जाना पड़ा. मुझे ये था कि संजय जी के लिए ओके है और टीम के लिए ओके है तो मुझे दिक्कत नहीं है.
अपने साथ काम करने वाली एक्ट्रेसेज के लिए मलिक ने कहा, ‘मनीषा कोइराला की पर्सनैलिटी एनिग्मैटिक है. सब नामचीन लोग हैं. बहुत सफल लोग हैं. उन्होंने बहुत काम भी किया है. सोनाक्षी सिन्हा के साथ काम किया है मैंने. बहुत धैर्य हैं उनमें. रिटेक बहुत होते थे और मैं नर्वस हो ही जाता था. लेकिन वो बहुत फोकस वाली हैं. और बहुत सपोर्ट किया है उन्होंने.’