उत्तर प्रदेश में बहराइच जिले की पिंक ई-रिक्शा ड्राइवर आरती को लंदन में यूके रॉयल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. आरती को प्रिंस ट्रस्ट की ओर से अमल क्लूनी महिला सशक्तीकरण अवार्ड दिया गया. आइए जानते हैं कि यूके का यह रॉयल अवार्ड क्या है, इसकी स्थापना कब हुई और आरती को इससे क्यों नवाजा गया.
उत्तर प्रदेश में बहराइच जिले के रिसिया ब्लॉक की रहने वाली 18 साल की पिंक ई-रिक्शा ड्राइवर आरती को लंदन में यूके रॉयल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. इस सम्मान समारोह का आयोजन 22 मई को लंदन में किया गया था. इसमें आरती को प्रिंस ट्रस्ट की ओर से अमल क्लूनी महिला सशक्तीकरण अवार्ड दिया गया. आइए जानते हैं कि यूके का यह रॉयल अवार्ड क्या है, इसकी स्थापना कब हुई और आरती को इससे क्यों नवाजा गया.
किंग चार्ल्स तृतीय जब प्रिंस ऑफ वेल्स थे, तब उन्होंने प्रिंस ट्रस्ट इंटरनेशनल की स्थापना की थी, जो अब किंग्स ट्रस्ट इंटरनेशन के रूप में जाना जाता है. इस ट्रस्ट के जरिए दुनिया भर के 20 देशों के युवाओं को रोजगार, शिक्षा और उपक्रमों के जरिए सहयोग दिया जाता है. इसी ट्रस्ट की ओर से अवार्ड भी दिया जाता है.
आरती को मिला यह अवार्ड
आरती को अमल क्लूनी महिला सशक्तीकरण अवार्ड से नवाजा गया है, जिसकी स्थापना दुनिया के जाने-माने मानवाधिकार बैरिस्टर के नाम पर की गई है. लंदन में आयोजित प्रिंस ट्रस्ट अवार्ड समारोह में आरती को यह सम्मान मिलने के बाद उन्होंने बकिंघम पैलेस में 75 वर्षीय किंग चार्ल्स तृतीय से मुलाकात भी की. इसके लिए वह ई-रिक्शा पर सवार होकर बकिंघम पैलेस पहुंची थीं. इसका उद्देश्य यह दर्शाना था कि यह केवल ट्रांसपोर्ट का एक साधन नहीं, बल्कि एक विचार और आंदोलन है.
आरती को यह सम्मान सरकार की पिंक ई-रिक्शा पहल के तहत किए जा रहे कार्य के जरिए युवा लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया गया है, जिसमें वह दूसरी महिलाओं को सुरक्षित आवागमन की सुविधा प्रदान करती हैं.
इस तरह आगे बढ़ीं आरती
दरअसल, जुलाई 2023 में प्रिंस ट्रस्ट इंटरनेशनल और आगा खां फाउंडेशन के सहयोग से प्रोजेक्ट लहर ने आरती को भारत सरकार की पिंक ई-रिक्शा स्कीम से परिचित कराया. इस पहल का उद्देश्य देश भर की महिलाओं को सशक्त बनाना और उनकी आय के साधन में वृद्धि का मौका देना है. मिशन शक्ति के तहत शुरू की गई इस स्कीम को यूपी सरकार मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के साथ मिलाकर चलाती है. इसके तहत 18 से 40 साल की 10वीं पास योग्य महिलाओं को सुरक्षा, संरक्षा और आत्मरक्षा की छह दिनों की ट्रेनिंग भी दी जाती है.
जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराया ई-रिक्शा
इसी स्कीम के तहत बहराइच जिला प्रशासन ने सब्सिडी के साथ योग्य महिलाओं को ई-रिक्शा उपलब्ध कराए थे, जिनमें आरती भी शामिल थीं. ब्रिटिश मानवाधिकार कार्यकर्ता अमल क्लूनी (जिनके नाम पर यह अवार्ड दिया जाता है) ने आरती को अवार्ड मिलने के बाद कहा कि इस साल की यह अवार्ड विजेता आरती दूसरों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं, जिनका काम पुरुषों के आधिपत्य वाले क्षेत्र में पथप्रदर्शक है. आरती एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती हैं, जिसमें उनकी बेटी को उन रुकावटों का सामना न करना पड़े, जो उनके सामने आ चुकी हैं. इसके लिए वह खुद के जरिए उदाहरण गढ़ रही हैं.
प्रिंस चार्ल्स ने परिवार को कहा नमस्ते
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आरती ने अवार्ड मिलने के बाद प्रिंस चार्ल्स से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया कि यह एक अविश्वसनीय रोमांचकारी अनुभव था. उन्होंने कहा कि किंग चार्ल्स ने बहुत अच्छे से मुलाकात की और बहराइच में मेरे परिवार के लिए नमस्ते भी कहा है. जब मैं हिंदी में अपनी बात कह रही थी तो किंग बड़े ध्यान से सुन रहे थे कि मैं ई-रिक्शा चलाना कितना पसंद करती हूं. यह डीजल या पेट्रोल से चलकर प्रदूषण नहीं फैलाता बल्कि इसे मैं हर रात को अपने घर पर चार्ज करती हूं.