अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम ने पृथ्वी के आकार का एक एक्सोप्लेनेट खोजा है. यह एक्सोप्लेनेट हमारी पृथ्वी से बहुत मिलता-जुलता है लेकिन यहां जीवन संभव नहीं है. इस ग्रह पर केवल केवल 17 घंटों का एक साल होता है. सबसे हैरानी की बात ये है कि यहां पर सूरज कभी भी डूबता नहीं है.
आसमान कई रहस्यों से भरा हुआ है, जिसके बारे में जानने की दिलचस्पी हमेशा बनी रहती है. वैज्ञानिक अक्सर किसी न किसी ऐसे रहस्य का खुलासा करते हैं, जो हमारे लिए चौंकाने वाला होता है. इन खुलासों से हमें ये भी पता चलता है कि पृथ्वी से बाहर की दुनिया कैसी है और वहां क्या-क्या मौजूद है. हाल ही में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है. बेल्जियम की यूनिवर्सिटी ऑफ लीज में एक ऐसे ग्रह की खोज हुई है, जो साइज में लगभग हमारी पृथ्वी के बराबर है. इस खोज के पीछे अमेरिका की मशहूर यूनिवर्सिटी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों का हाथ है. वैज्ञानिकों ने इस ग्रह का नाम SPECULOOS-3 b रखा है. इसकी सबसे बड़ी बात ये है कि यह एक एक्सोप्लेनेट है और हमारे सौरमंडल से इसका कोई संबंध नहीं है.
क्या होता है एक्सोप्लेनेट?
नासा के अनुसार कोई भी ग्रह अगर सूरज को छोड़कर किसी और सितारे का चक्कर लगाता है, तो उसे एक्सोप्लेनेट कहते हैं. हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं और इनका एक सितारा सूरज है. इसका मतलब है एक्सोप्लेनेट का हमारी दुनिया से कोई संबंध नहीं होता है. ऐसा माना जाता है कि कई शताब्दी से ये आकाश में मौजूद हैं और SPECULOOS-3 b जैसे अरबों एक्सोप्लेनेट अंतरिक्ष में किसी सितारे का चक्कर लगा रहे हैं. 1995 में खास टेक्नोलॉजी विकसित करने के बाद पहली बार किसी एक्सोप्लेनेट को खोजा जा सका था. उसके बाद से लगभग 5200 एक्सोप्लेनेट खोजे जा चुके हैं. SPECULOOS-3 b भी उनमें से एक है.
पृथ्वी से 16 गुना ज्यादा रेडिएशन, जीवन संभव नहीं
SPECULOOS-3 b नाम यूनिवर्सिटी के ग्रह खोजने वाले प्रोजेक्ट (Search for Planets Eclipsing ULtra-cOOl Stars) के नाम पर रखा गया है. ये एक्सोप्लेनेट हमारी पृथ्वी के साइज का तो है ही, साथ में यह केवल 55 लाइट ईयर यानी लगभग 520 ट्र्रिलियन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. लेकिन ये पृथ्वी से बहुत अलग है. SPECULOOS-3b बहुत छोटे और ठंडे सूरज का चक्कर लगाता है.
इसका सूरज हमारे सौरमंडल में मौजूद बृहस्पति ग्रह के साइज की तुलना में थोड़ा ही बड़ा है. वहीं बात करें तापमान की तो इसके सूरज का टेंपरेचर केवल 2627 डिग्री सेल्सियस है. जबकि, पृथ्वी के सूरज का औसत तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है. वहीं इसके कोर में जाने पर यह 1.5 करोड़ डिग्री तक पहुंच जाता है. इतना कम तापमान होने के बावजूद SPECULOOS-3 b को अपने सूरज से पृथ्वी की तुलना में 16 गुना ज्यादा ऊर्जा या रेडिएशन मिलता है. इन सभी फैक्टर्स को देखते हुए इस प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने इस ग्रह पर जीवन की संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
कभी नहीं डूबता सूरज
हमारी पृथ्वी पर 365 दिन और 6 घंटे का एक साल होता है, जबकि एक्सोप्लेनेट SPECULOOS-3 b पर 17 घंटे का एक साल होता है. यानी यह केवल 17 घंटे के भीतर ही अपने सूरज का चक्कर लगा लेता है. इसकी एक और खासियत है, यहां सूरज कभी भी नहीं डूबता. लेकिन ये केवल इसके एक हिस्से में होता है, जबकि इसके दूसरे हिस्से में हमेशा अंधेरा छाया रहता है. साधारण भाषा में कहें तो SPECULOOS-3 b के एक हिस्से में हमेशा दिन और दूसरे हिस्से में हमेशा रात होती है.
पृथ्वी के जैसे अन्य ग्रह
पृथ्वी पर लगातार इंसानों की संख्या बढ़ रही है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण धीरे-धीरे इस ग्रह पर रहना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में अंतरिक्ष ने पिछले कई सालों से किसी ऐसे ग्रह की तलाश शुरू कर दी है, जहां इंसानों को बसाया जा सके. इस प्रयास में पृथ्वी के जैसे कई ग्रह मिले हैं लेकिन वहां हमारे रहने लायक वातावरण नहीं मिल पाया है. Proxima Centauri b, Kepler-186f, TOI-700 d और Gliese 581c कुछ ऐसे ही एक्सोप्लेनेट हैं, जो पृथ्वी के जैसे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, ये सभी हैबिटेबल जोन में भी हैं, लेकिन किसी न किसी समस्या के कारण वहां पर जीवन संभव नहीं है.