Heat Wave Declared: गर्मी से हुई मौतों के बाद राजस्थान कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा, गर्मी के कारण मरने वाले लोगों के आश्रितों को मुआवजा दिया जाए. गर्मी और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत है. जानिए, हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर क्या फायदे मिलेंगे?
गर्मी में हीटवेव के कारण हुई मौतों को स्वत: संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया. कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश देते हुए कहा, गर्मी के कारण मरने वाले लोगों के आश्रितों को मुआवजा दिया जाए. गर्मी और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की जरूरत है. न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच ने कहा, अब समय आ गया है जब लू और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए और इनसे निपटने की एडवांस में तैयारी की जाए.
राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को उन सड़कों पर पानी छिड़कने का भी निर्देश दिया, जहां बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होती है. ट्रैफिक सिग्नलों, सड़कों, राजमार्गों पर पीने के पानी, ओआरएस की व्यवस्था करें, जहां तक संभव हो. छाया की व्यवस्था करें. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार SMS, एफएम, रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल ऐप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचार पत्र के जरिए मौसम का अलर्ट जारी करे.
हाईकोर्ट ने ऐसी हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बात कही है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब लू के कारण हो रही मौतों पर बहस छिड़ी है. इसको लेकर बाकायदा केंद्र सरकार विधेयक लाई थी. 18 दिसंबर 2015 को केंद्र सरकार ने Prevention of Deaths Due to Heat and Cold Waves Act, 2015 राज्यसभा में पेश किया था, लेकिन यह विधेयक आज तक कानून का रूप नहीं ले सका. जानिए क्या था कानून और हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर लोगों को क्या फायदे मिलेंगे?
हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर क्या फायदे मिलेंगे?
2015 में पेश हुए केंद्र सरकार के विधेयक प्रिवेंशन ऑफ डेथ्स ड्यू टू हीट एंड कोल्ड वेव्स एक्ट में कई बातों का जिक्र किया था ताकि मौसम के नकारात्मक असर को रोककर इससे होने वाली मौतों को कंट्रोल किया जा सके. संसद की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस विधेयक में साफतौर पर जिक्र था कि भीषण गर्मी या शीत लहर में लोगों की जान चली जाती है, उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाएगा और सरकार उसे उसी तरह से निपटेगी.
केंद्रीय और क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, भीषण गर्मी या शीत लहर के संभावित हालातों के बारे सरकार को जानकारी देंगे. उसके आधार पर सरकार अलर्ट जारी करेगी. मौसम के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए विधेयक में गाइडलाइन बताई गई थी.
विधेयक कहता है, बेघर लोगों के लिए ऐसी सुख-सुविधाओं से युक्त रैन बसेरे बनाए जाएंगे जो गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम में उन्हें सुरक्षित रखें. निर्माण क्षेत्र के पास श्रमिक और खेतों में किसानों के लिए छायादार जगहों का निर्माण कराया जाएगा. किसानों और श्रमिकों को धूप से बचाने के लिए छायादार कराए जाएंगे. सड़कों और राजमार्गों पर छायादार जगह बनाई जाएंगी.
इसके अलावा राजमार्गों के किनारे में मजदूर, रिक्शाचालक, गाड़ी खींचने वालों के लिए पीने का पानी, ओआरएस और आम पना की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि हीटवेव या सर्दी से होने वाली मौतों को रोकने के लिए यह गाइडलाइन को लागू हो. इसके लिए सरकार को एडवांस में प्लान बनाना होगा.
कितना मिलेगा मुआवजा?
अगर यह विधेयक कानून बनता है कि आम लोगों को मौसम की मार से सुरक्षा मिलेगी. मौसम का अलर्ट मिलेगा. ऐसे हालात में मौत होने पर परिजनों को मुआवजा भी दिया जाएगा. 2015 में पेश हुआ विधेयक कहता है, हीटवेव और शीतलहर में जान गंवाने वाले मृतक के परिजनों को सरकार कम से कम तीन लाख रुपए का मुआवजा देगी. इसके साथ ही कई विभागों की जिम्मेदारी तय होगी कि मौसम के खतरों से आम इंसान को बचाने के लिए जरूर कदम उठाए. इस तरह आम इंसान की सुरक्षा तय होगी.
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