ताबूत भी नहीं छोड़ा… मौत के बाद क्यों चोरी हो गया था चार्ली चैपलिन का शव?

ताबूत भी नहीं छोड़ा… मौत के बाद क्यों चोरी हो गया था चार्ली चैपलिन का शव?

Charlie Chaplin: अपनी अदाकारी और खास अटपटी स्टाइल से दुनिया भर को हंसाने वाले चार्ली चैपलिन आखिरकार 25 दिसंबर 1977 को सबको रुला कर इस दुनिया से चले गए. 88 साल की उम्र में उनकी निधन क्रिसमस के दिन हुआ था. सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए चार्ली को स्विटजरलैंड के जेनेवा में एक झील के पास दफनाया गया था. निधन के करीब तीन महीने बाद कब्र से चार्ली चैपलिन का शव गायब हो गया.

ताबूत भी नहीं छोड़ा... मौत के बाद क्यों चोरी हो गया था चार्ली चैपलिन का शव?

पुलिस ने 17 मई 1978 को चोरों को गिरफ्तार करके चार्ली चैपलिन का ताबूत बरामद किया.Image Credit source: Getty Images

वह मंच पर होते थे लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते थे. उनकी फिल्में देखते-देखते लोगों के पेट में बल पड़ने लगते थे. आज भी उनकी फिल्में हों या केवल क्लिपिंग भर, जो भी देखता है, हंसते-हंसते उसकी आंखों में आंसू आ जाता है. दूसरे को हंसाने वाले उस इंसान की जिंदगी में ढेरों गम थे. हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े कॉमेडी स्टार चार्ली चैपलिन की, जिनके निधन के बाद दफनाया गया तो शव को भी सुकून से नहीं रहने दिया गया.

यह घटना भी चार्ली चैपलिन के साथ इतिहास में अमर हो गई. इसी घटना की वर्षगांठ पर आइए जान लेते हैं, क्या था पूरा मामला.

मुश्किलों भरे बचपन से उबर कर बने अभिनेता

लंदन में चार्ली का जन्म 16 अप्रैल 1889 को हुआ था. उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा हुआ था. पिता को शराब पीने की लत थी, जिसके कारण उनका परिवार मुसीबत में पड़ गया था. आर्थिक स्थिति खराब थी और घरेलू हालात की मारी चार्ली चैपलिन की मां पागलपन का शिकार हो गई थीं. इसके कारण सिर्फ सात साल की उम्र में चार्ली चैपलिन को एक आश्रम में रहना पड़ा था. इससे उनकी पढ़ाई भी छूट गई.

सामने कोई और रास्ता नहीं दिखा तो केवल 13 साल की उम्र में चार्ली ने अपने कष्टों से ऊपर उठकर दूसरों का मनोरंजन करने की ठान ली और डांस करने लगे. फिर धीरे-धीरे मंचों पर नाटक में हिस्सा लेने लगे. इसके बाद ही अमेरिकी फिल्म स्टूडियो के लिए चैपलिन का चयन हो गया और वह मूक फिल्मों के किंग के रूप में दुनिया भर के सामने आए.

दुनिया भर को रुला कर चले गए चैपलिन

अपनी अदाकारी और खास अटपटी स्टाइल से दुनिया भर को हंसाने वाले चार्ली चैपलिन आखिरकार 25 दिसंबर 1977 को सबको रुला कर इस दुनिया से चले गए. 88 साल की उम्र में उनकी निधन क्रिसमस के दिन हुआ था. सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए चार्ली को स्विटजरलैंड के जेनेवा में एक झील के पास दफनाया गया था.

निधन के करीब तीन महीने बाद कब्र से चार्ली चैपलिन का शव गायब हो गया. कब्र खोदकर ताबूत निकाला गया था. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की. इसी बीच, चार्ली की पत्नी से संपर्क कर कुछ लोगों ने कहा कि शव उन्होंने चुराया है. साथ ही उसे लौटाने के बदले में चार लाख पाउंड की मांग रखी.

Charlie Chaplin Body Was Stolen

चार्ली चैपलिन का ताबूत.

17 मई 1978 को पुलिस ने बरामद किया था ताबूत

पुलिस को इस चोरी का पता चला तो उसने जांच और तेज कर दी. आखिरकार 17 मई 1978 को पुलिस ने चोरों को गिरफ्तार कर लिया और उनके पास से चार्ली चैपलिन का ताबूत भी बरामद कर लिया. दोनों चोरों की पहचान बुल्गारिया के मैकेनिक के रूप में हुई थी, जिन्होंने भारी-भरकम रकम की लालच में शव निकाला था. यह और बात है कि पैसे तो नहीं मिला, उल्टा उन्हें जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

हिटलर तक का उड़ाया था मजाक

चार्ली चैपलिन अपने अभिनय में खुद का मजाक उड़ाकर लोगों की हंसी बटोरते थे. साल 1940 में उनकी फिल्म आई द ग्रेट डिक्टेटर. इसमें उन्होंने जर्मनी का तानाशाह हिटलर बनकर उसका खूब मजाक उड़ाया था. उनका यह रूप आज भी लोगों को खूब पसंद आता है.

21 साल पहले बनी फिल्म पर मिला था ऑस्कर

कॉमेडी किंग चार्ली चैपलिन को साल 1973 में फिल्म लाइम लाइट के लिए बेस्ट म्यूजिक का ऑस्कर अवार्ड मिला था. खास बात यह थी कि यह फिल्म इससे 21 साल पहले बनाई गई थी पर लॉस एंजेलिस में 1972 से पहले इसका प्रदर्शन ही नहीं हुआ. वहां, फिल्म रिलीज होने के बाद ऑस्कर के लिए लाइम लाइट का नामांकन हो पाया था. इस फिल्म के लिए चार्ली को जब ऑस्कर अवार्ड दिया गया तो समारोह में मौजूद लोग खड़े हो गए और तालियां बजानी शुरू कर दीं. तालियों की गड़गड़हाट पूरे 12 मिनट तक गूंजती रही. इसके बाद लोग शांत हुए थे.

इंग्लैंड ने दिया सम्मान, अमेरिका ने लगाया बैन

चार्ली चैपलिन को साल 1975 में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने नाइट की उपाधि दी थी. यही नहीं, वह दुनिया के पहले अभिनेता थे जिनको टाइम मैग्जीन ने अपने कवर पेज पर जगह दी थी और उनका फोटो छापा था. अमेरिका ने चार्ली चैपलिन की फिल्मों पर केवल इसलिए बैन लगा दिया था, क्योंकि तब माना जाता था कि चार्ली चैपलिन की फिल्में कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित होती हैं.

 

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